भारत सरकार ने प्रकाशित की जिसे आज भी हिंदी का मानक व्याकरण माना जाता है।
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हिन्दी का प्रथम मानक व्याकरण सन 1921 में कामता प्रसाद गुरु के माध्यम से बना।
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यह भी ज्ञातव्य है कि उस समय तक हिन्दी का भी कोई मानक व्याकरण नहीं बन पाया था।
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उनकी पुस्तक ' बेसक ग्रामर ऑफ हिंदी' भारत सरकार ने प्रकाशित की जिसे आज भी हिंदी का मानक व्याकरण माना जाता है।
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वाजपेयजी ने 60-70 के दशक में और उससे पहले भी हिंदी के मानक व्याकरण को स्थिर करने के लिए भगीरथ प्रयत्न किया था।
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उनकी पुस्तक ' बेसक ग्रामर ऑफ हिंदी ' भारत सरकार ने प्रकाशित की जिसे आज भी हिंदी का मानक व्याकरण माना जाता है।
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इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसमें भोजपुरी-भाषा के धातुओं और क्रियाओं की व्युत्पत्ति को स्रोत संस्कृत-भाषा एवं उसके मानक व्याकरण से लिया गया है।
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इस ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसमें भोजपुरी-भाषा के धातुओं और क्रियाओं की व्युत्पत्ति को स्रोत संस्कृत-भाषा एवं उसके मानक व्याकरण से लिया गया है।
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“मेरा यह सोचना है कि अच्छी हिंदी (बल्कि किसी भी भाषा) के घटकों में मानक व्याकरण प्रयोग, सुन्दर और स्पष्ट वाक्य रचना, सहज शब्दों का चयन और उनके मानक रूपों का इस्तेमाल मुख्य हैं.